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निभाते निभाते जिम्मेदारी, भूल गए सारी खुद्दारी, जब वक्त आया अपना, सबने मुँह मोड़ लिए, परछाई भी न हुई हमारी। बहुत देर हो गयी समझने में, लोगों को हमसे परखने ...