उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान--मु झुनिया को अपने घर का चौका-बरतन, झाड़ू-बहारू, रोटी-पानी सभी कुछ करना पड़ता। दिन को तो दोनों चना-चबेना खाकर रह जाते, रात को जब मालती आ जाती, तो झुनिया अपना खाना ...

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