लेखनी कविता-23-Feb-2022

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*बिदाई* आज कैसी घड़ी आई है,मिलन है जुदाई है। चाहे बेटी की हो या पहुना की, बिदाई तो आखिर बिदाई है। बिदाई शब्द सुन युँ ही,अश्रुजल आँखो से बह जाते हैं ...

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