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तेरी यादें कि जिनको बहुत दिन हुए छोड़कर एक चौराहे पर ज़ीस्त के चल पड़ा हूं मैं एक अजनबी राह पर अपनी मंज़िल से हूं बेख़बर में मगर दर्द की वादियों ...