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बारिश की बूंदों से सनी हवा, लपटें लेती कभी इधर, तो कभी उधर। प्रकृति आंख मिचोली खेल रही, कभी बिजली संग चमक कर, कभी हवा संग रुख बदलकर। बारिश की बूंदों ...