मुंशी प्रेमचंद ः निर्मला

66 Part

207 times read

1 Liked

निर्मला जब वस्त्राभूष्णों से अलंकृत होकर आइने के सामने खड़ी होती और उसमें अपने सौंन्दर्य की सुषमापूर्ण आभा देखती, तो उसका हृदय एक सतृष्ण कामना से तड़प उठता था। उस वक्त ...

Chapter

×