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कविता ःसागर की मस्ती इतना शोर और कोलाहल समुद्र ने क्यों गर्जना मचाया अनगिनत लहरें इसकी... उठतीं..गिरतीं...भागतीं.. दौड़तीं... इस महाकाय में ही विलीन हो जातीं... कभी हवा के इशारों ...