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इज़्ज़त शोहरत उहदे मनसब दौलत के अंबारों मैं] जो चाहो मिल जाएगा वो दुन्या के बाज़ारों मैं मेरे अंदर तन्हाई का जैसे कोई सेहरा है खुडी को तनहा पाता है मे ...