मुंशी प्रेमचंद ः निर्मला

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... सियाराम-चलते क्यां नही? मेरे भैयाजी, चले चलो न। मंसाराम-मुझे फुरसत नहीं है कि तुम्हारे कहने से चला चलूं। जियाराम-आखिर कल तो इतवार है ही। मंसाराम-इतवार को भी काम है। जियाराम-अच्छा, ...

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