मुंशी प्रेमचंद ः निर्मला

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. निर्मला- अब मैं किसी के मन की बात क्या जानू? कृष्णा- मैं तो समझती हूं, तुम्हारी रुखाई से वह चिढ़ते होंगे। तुम हो यहीं से जली हुई गई थी। वहां ...

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