मुंशी प्रेमचंद ः निर्मला

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.. रात के बारह बजे मुंशीजी घर लौटे, दरवाजे पर लालटेन जल रही थी, निर्मला द्वार पर खड़ी थी। देखते ही बोली- कहा भी नहीं, न जाने कब चल दिये। कुछ ...

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