स्‍वामिनी

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शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्‍यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी ऑंखों में ऑंसू भरकर कहा—बहू, आज से गिरस्‍ती की देखभाल तुम्‍हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान् से नहीं ...

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