सम्पूर्ण रामायण - किष्किन्धाकाण्ड (12) तपस्विनी स्वयंप्रभा

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वह गुफा अत्यन्त ही अन्धकारमय थी किन्तु वानरों की दृष्टि उस अन्धकार में भी कार्य कर रही थी। उनका तेज और पराक्रम अवरुद्ध नहीं होता था और उनकी गति वायु के ...

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