प्रेमा--मुंशी प्रेमचंद

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रामकली—सुनती हूं कल हमारी डाइन कई चुड़ैलो के साथ तुमको जलाने गयी थी। जानों मुझे सताने से अभी तक जी नहीं भरा। तुमसे क्या कहू बहिन, यह सब ऐसा दुख देती ...

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