सम्पूर्ण रामायण - उत्तरकाण्ड (25) महाप्रयाण

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लक्ष्मण का त्याग करके अत्यन्त शोक विह्वल हो रघुनन्दन ने पुरोहित, मन्त्रियों और नगर के श्रेष्ठिजनों को बुलाकर कहा, “आज मैं अयोध्या के सिंहासन पर भरत का अभिषेक कर स्वयं वन ...

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