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विषय-- पर्यावरण विधा-- कविता प्रकृति के खजाने लुट रहे हैं! सभी स्वपन सुहाने लुट रहे हैं! ये पेड़ और वन जो कट रहें हैं! हमारे आशियाने लुट रहे हैं! करो कुछ ...