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यह कहकर मिसेज़ सेवक फिटन पर जा बैठीं। संध्या हो गई थी। सड़क पर ईसाइयों के दल-के-दल कोई ओवरकोट पहने, कोई माघ की ठंड से सिकुड़े हुए, खुश गिरजे चले जा ...