रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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अभी संगीत की धवनि गूँज ही रही थी कि अकस्मात् उसी अहाते के अंदर एक खपरैल के मकान में आग लग गई। जब तक लोग उधर दौड़े, अग्नि की ज्वाला प्रचंड ...

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