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... सूरदास-महाराज, मैं खुशी से जमीन न बेचूँगा। नायकराम-सूरे, कुछ भंग तो नहीं खा गए? कुछ खयाल है, किससे बातें कर रहे हो! सूरदास-पंडाजी, सब खियाल है, आँखें नहीं हैं, तो ...