मेरे हमदम मेरे दोस्त 3

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वो बे-आवाज़ रो रही थी. कोई सिसकी कोई आवाज़ उसके मुँह से नहीं निकल रही थी. वो बिल्कुल साकित (सन्न) बैठी खिड़की से बाहर नज़रें जमाये आँसू बहा रही थी. वो ...

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