रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... महेंद्रकुमार-कमीने! स्त्रियों पर अत्याचार करना चाहते थे! जॉन सेवक-यही तो इस ड्रामा का सबसे लज्जास्पद अंश हैं। महेंद्रकुमार-लज्जास्पद नहीं महाशय, घृणास्पद कहिए। जॉन सेवक-अब यह बेचारे कहते हैं कि या ...

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