देश प्रेम

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देश प्रेम  अपनी आज़ादी को हरगिज़ नहीं मिटा सकता  सर काटा सकता है सर झुका नहीं सकता !  क्या देश के लिए देंगे जान हम?  जान के ख़तीर वतन को हरा ...

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