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उमड़- घुमड़ कर काले-काले बादल करते हैं देखो शोर लगता है आज फिर आया मन हरने को कोई चितचोर। प्रीतम का प्रतिरूप दिखा बिरहन की अगन बढ़ाए कब से है मायूस ...