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काँटों भरे हैं पथ, जिन पर चलना चाहूँ आएं कितनी ही बाधाएँ तुम से मिलना चाहूँ। तुम थे मेरे सुख-दुख के साथी मेरे हमदर्द, मेरे सहपाठी। संग तेरे करती रहती मैं ...