मन से मन का मेल

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दोहा मन से मन की प्रीत का, कभी न होता अंत। भाव समर्पित जब रहें, तब सुख मिले अनंत।। जुड़ जाते हैं जब कभी, मन से मन के तार। एक  अनूठी  ...

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