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वार्षिक कविता :-अनाज:- इसकी क्या कीमत पूछते हो जनाब, इसका स्वाद होता न कभी खराब। जब भी पूछोगे इसका हिसाब, भूल जाओगे ; खाना कबाब। इंसान से लेकर परिंदो तक ; ...