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आमदनी मेरी इतनी नहीं जान , काहे को रखी तूने भौंहें तान | फरमाइश तेरी इतनी बढ़ी , जान मेरी तो सूली चढ़ी | ख्वाहिशों को थोड़ा नियंत्रित कर लो , ...