दिन ढलने लगा है

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सुनो पंडिताइन दिन ढलने लगा है  घड़ी का कांटा टिक टिक करते सांझ की ओर बढ़ने लगा है तुम्हारे हाथ की चाय को मन मचलने लगा है ये हल्की हल्की महक ...

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