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तिरी याद भी जानिब मेरी आदत से जुदा नही होती। तुमसे नही मिलते फ़िर बेशक मुहब्बत हुई नही होती। करिश्मा ये अज़ीब अज़ीज़ के नज़र का घायल हुआ। ज़िंदा तो बेशक ...