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* प्रकृति का अनोखा रूप* (कविता) टेढ़ी-मेढ़ी गलियां देखो मंजिल तक पहुंचाती हैं, देख मुसाफिर को राहों पर राह बहुत भटकाती हैं। दिखती पास सदा है ये पर दूर बहुत ले ...