फागुन में

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गजल प्रीत बरसती मुरलीधर की फागुन में। शोभा क्या कह दूं गिरवर की फागुन में।। मंद मंद मुस्काए सुमन डाली डाली। गूंज उठे कोयल के स्वर की फागुन में।। कुंज गलिन ...

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