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कविताःविदाई विदाई की ओर चलता सूरज समेट कर अपने सुनहरा आँचल खगविहग लौटें अपने घर को मचाते शोरगुल थकाहारा संपूर्ण जगत लौटा अपने घर की ओर शक्तिशाली दिवाकर थमे तो छा ...