रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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इंदु-बक-बक मत करो, गाड़ी लौटा ले चलो। कोचवान ने गाड़ी फेड़ दी। इंदु ने एक लम्बी साँस ली और सोचने लगी-सब लोग मेरा इंतजार कर रहे होंगे; गाड़ी देखते ही पहचान ...

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