लेखनी कविता -09-Mar-2022 वार्षिक प्रतियोगिता हेतु - आम आदमी

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आम आदमी की बिसात बस इतनी सी , लगता है कभी वह एक उपाधि सी | सुगबुगाहट होती हैं चारों तरफ उसी की , चुनावों में भी खलती हैं उसकी कमी ...

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