लेखनी कविता -09-Mar-2022 आमदनी

1 Part

394 times read

9 Liked

आमदनी घर की फिक्र में खुद की थकान भूल गए अरे जनाब , पापी पेट का सवाल है वरना झुलसती गर्मी में क्यूं तपाए खुद को बोझा ढो कर , जख्मी ...

×