रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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इसके कई दिन बाद एक दिन, रात के समय सूरदास बैठा भोजन बना रहा था कि जगधर ने आकर कहा-क्यों सूरे, तुम्हारी अमानत तो तुम्हें मिल गई न? सूरदास ने अज्ञात ...

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