रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... इस विचार से उसे बड़ी शांति मिली, जैसे किसी कवि को उलझी हुई समस्या की पूर्ति से होती है। वह तड़के ही उठा और जाकर भैरों के दरवाजे पर आवाज ...

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