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माना हो गई कुछ धुंधली हैं, तुम्हारी कितनी यादें आज भी, जहन से मेरे लिपटी हैं। वो खामोशियों के साए में, नजरों के दरमियाँ जो हुई, उन यादों की खुशबुएं ...