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स्वपन्न सुंदरी समक्ष खड़ी हैं, आभा उसकी जो मेरे नयनों में पड़ी हैं, खींच मैनें उसे अपने हृदय से सटाया, एक अनोखा एहसास मैनें पाया, उड़ रहा हूँ आकाश में, पंख ...