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उम्मीदों के पंख लगाकर और ऊंचा उड़ जाऊंगा देखना, एक न एक दिन मैं अवश्य मंजिल पाऊंगा दुख क्या राह रोकेगा मेरी हिम्मत की लाठी रखता हूँ गमों के भीषण भंवर ...