ज़िन्दगी गुलज़ार है

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२४ अक्टूबर – ज़ारून आज आखिरी पेपर था और मैं इतना थक चुका था कि घर आते ही सो गया. ये पेपर्स भी बंदे को बस हिला कर रख देते हैं. ...

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