ज़िन्दगी गुलज़ार है

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०६ अक्टूबर ज़ारून  इस वक़्त रात के ११ बजे हैं और मैं गुस्से से बेहाल हो रहा हूँ. पता नहीं कशफ़ ख़ुद को समझती क्या है. कभी-कभी वो मुझे एब्नार्मल लगती ...

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