लेखनी कविता -10-Mar-2022 -वार्षिक प्रतियोगिता हेतु - लश्कर

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लश्कर लश्कर जिंदग का चलता चला गया , मैं तेरी मोहब्बत में तबाह होता चला गया | मुड़कर न देखा तुमने एक बार भी , इंतजार में भी मैं मुस्कुराता चला ...

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