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स्त्री और प्रकृति ************* नदी बहती चली अपने मीठे शीतल जल से सबको तृप्त करती रही स्त्री नदी समान ही इसका जीवन खुद से ज्यादा परिवार की चिन्ता जहाँ जन्म ...