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कविताःअनाज मुट्ठी भर दानों के लिए तरसता किसान जिसके हिस्से में अन्नपूर्णा का है वरदान एक मुट्ठी अनाज की कीमत कौन जाने जिसने पेट की आग बुझाया पानी और थूक से ...