वार्षिक कविता प्रतियोगिता - आम आदमी

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"आम आदमी" देखोगे नजर घुमा कर चारों तरफ अपने तो हर कहीं मैं नजर आऊंगा बिल्कुल तुम्हारे जैसा ही तो हूं मैं तुम्हारे आस पास ही दिख जाऊंगा कभी रिक्शे का ...

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