लेखनी प्रतियोगिता -12-Mar-2022

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जर्जर कश्ती निर्झर  नदियांँ   कुर्ब़त   तूफ़ाँ    दिल  अंजान। नदियों की कल कल में बर्बर होती  श्रव्य  ध्वनि  नित गान। विसंगति जीवन    में   ऐसे   भावों   का    दोहन  पग    ...

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