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जर्जर कश्ती निर्झर नदियांँ कुर्ब़त तूफ़ाँ दिल अंजान। नदियों की कल कल में बर्बर होती श्रव्य ध्वनि नित गान। विसंगति जीवन में ऐसे भावों का दोहन पग ...