कविता - आमदनी

1 Part

555 times read

9 Liked

||आमदनी|| आमदनी अठ्ठन्नी और ख़र्चा रूपईया ... ऐसे ही नहीं कहते हैं भैया ... आटा , तेल , दूध... सबके दामों ने रुलाया है , रुपया – दो रुपया धीरे – ...

×