रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... प्रभु सेवक-अगर आप इतना डर रहे हैं, तो उचित है कि आप इस संस्था को उसके हाल पर छोड़ दें। आप दो नौकाओं पर बैठकर नदी पार करना चाहते हैं, ...

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