रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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एक दिन वह घबराई हुए विनय के पास आई, बोली-विनय, मैं बनारस जाऊँगी। मैं बड़े संकट में हूँ। रानीजी मुझे यहाँ चैन न लेने देंगी। अगर यहाँ रही, तो शायद जीवन ...

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